अंतिम यात्रा के लिए अब वो चार कंधे भी जरूरी नहीं रहे रोते बिलखते वो स्नेहीजन भी नहीं रहे। अंतिम यात्रा के लिए अब वो चार कंधे भी जरूरी नहीं रहे रोते बिलखते वो स्नेही...
हर शोक सभा में जो बात बार-बार दोहराई थी, बात वो इतनी सीधी सरल थी, क्यों समझ ना आई थी। हर शोक सभा में जो बात बार-बार दोहराई थी, बात वो इतनी सीधी सरल थी, क्यों समझ ना ...
गंगा की धारा लेकर चली जाती है, चिता के भस्म की तरह आपके दु:ख ! गंगा की धारा लेकर चली जाती है, चिता के भस्म की तरह आपके दु:ख !
तू ही नहीं, जमाना साथ है। कोई बताये मेरे नाथ क्या है मेरा ? तू ही नहीं, जमाना साथ है। कोई बताये मेरे नाथ क्या है मेरा ?
ये जीवन महज़ एक रेल गाड़ी नहीं, जो चलती है लोह पटरियों पर! ये जीवन महज़ एक रेल गाड़ी नहीं, जो चलती है लोह पटरियों पर!
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